Bank Nifty Expity Updates : NSE ने Index Derivatives की Expiry Dates में बड़े बदलाव किए

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने हाल ही में अपने चार प्रमुख इंडेक्स डेरिवेटिव्स—Bank Nifty expiry, Fin-Nifty expiry, Midcap expiry और Nifty Next 50 expiry—की Monthly और Quaterly Expiry Dates में बड़े बदलावों की घोषणा की है। यह निर्णय 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसका उद्देश्य बाजार को अधिक स्थिर और संरचित बनाना है।

बदलाव के मुख्य बिंदु

1. मासिक और तिमाही एक्सपायरी की नई तिथियां (nifty, bank nifty expiry)

इन चार Index डेरिवेटिव्स की मासिक एक्सपायरी अब हर महीने के आखिरी गुरुवार (Thursday) को होगी। पहले इनके एक्सपायरी दिन अलग-अलग थे—बैंक निफ्टी बुधवार, फिननिफ्टी मंगलवार, मिडकैप सिलेक्ट सोमवार और नेक्स्ट 50 शुक्रवार को समाप्त होते थे। इस बदलाव से ट्रेडर्स को अपने ट्रेडिंग प्लान्स को बेहतर तरीके से व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।

2. वीकली ऑप्शन्स का बंद होना

सेबी के निर्देशानुसार, NSE ने निफ्टी और सेंसेक्स को छोड़कर अन्य सभी इंडेक्स डेरिवेटिव्स के वीकली ऑप्शन्स को बंद कर दिया है। यह कदम 20 नवंबर 2024 से लागू हुआ है। इसका उद्देश्य एक्सपायरी सप्ताह में होने वाली अत्यधिक ट्रेडिंग गतिविधियों और वोलैटिलिटी को नियंत्रित करना है।

3. लॉट साइज में वृद्धि

  • निफ्टी 50 का लॉट साइज 25 से बढ़ाकर 75 किया गया है।
  • बैंक निफ्टी का लॉट साइज 15 से बढ़ाकर 30 कर दिया गया है।
    सेबी का उद्देश्य इस बदलाव के माध्यम से रिटेल निवेशकों की भागीदारी को कम करना है ताकि संस्थागत निवेशकों के लिए एक स्थिर वातावरण बनाया जा सके।

इन बदलावों का बाजार और निवेशकों पर प्रभाव

1. ट्रेडिंग Strategies में बदलाव

नए एक्सपायरी नियमों के कारण ट्रेडर्स को अपनी रणनीतियों को संशोधित करना होगा। वीकली ऑप्शन्स का बंद होना शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स के लिए एक चुनौती हो सकता है, जबकि मासिक एक्सपायरी की एकरूपता लंबी अवधि के निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकती है।

2. Volatility में कमी

पहले एक्सपायरी सप्ताह में अत्यधिक वोलैटिलिटी के कारण निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता था। अब मासिक एक्सपायरी एक ही दिन होने से वोलैटिलिटी में कमी आने की संभावना है। यह बाजार को अधिक संरचित बनाएगा।

3. बाजार की तरलता (Liquidity)

वीकली ऑप्शन्स के बंद होने से तरलता में अस्थायी कमी हो सकती है। हालांकि, लंबी अवधि में यह बाजार के लिए सकारात्मक हो सकता है, क्योंकि मंथली और तिमाही कॉन्ट्रैक्ट्स अधिक प्रमुख हो जाएंगे।

Derivatives का महत्व और इन बदलावों का विश्लेषण

Derivatives क्या हैं?

डेरिवेटिव्स एक प्रकार के वित्तीय उपकरण हैं जो निवेशकों को कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। इसमें मुख्यतः फ्यूचर्स और ऑप्शन्स शामिल हैं। ये निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को हेज करने और जोखिम प्रबंधन में मदद करते हैं।

बदलाव क्यों आवश्यक थे?

  • नियामक उद्देश्य: सेबी ने यह कदम उठाया है ताकि ट्रेडिंग पैटर्न को व्यवस्थित किया जा सके और बाजार की स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके।
  • रिटेल निवेशकों की भागीदारी: बढ़े हुए लॉट साइज का उद्देश्य छोटे निवेशकों की अति-सक्रियता को कम करना है, जिससे बाजार में कम जोखिम और अधिक स्थिरता आ सके।

ट्रेडर्स और निवेशकों के लिए सुझाव

  1. नए नियमों को समझें: मासिक और तिमाही एक्सपायरी डेट्स के अनुसार अपनी ट्रेडिंग रणनीति को अपडेट करें।
  2. लॉट साइज का ध्यान रखें: बढ़े हुए लॉट साइज के कारण आपकी लागत में वृद्धि हो सकती है।
  3. मौके का लाभ उठाएं: वोलैटिलिटी में कमी से बेहतर दीर्घकालिक निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

NSE के इंडेक्स डेरिवेटिव्स एक्सपायरी में बदलाव बाजार को अधिक स्थिर और संरचित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह निर्णय ट्रेडर्स और निवेशकों दोनों को अपने ट्रेडिंग और निवेश की रणनीतियों में सुधार करने का अवसर देता है।

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए अपनी योजना तैयार करें और बाजार के अपडेट्स को नियमित रूप से फॉलो करें। यह कदम भारतीय डेरिवेटिव मार्केट में स्थिरता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

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